ईश्वर का स्पर्श
मुझे गंगा के उस घाट पे जाना है,जहां जीवन के उस परम सत्य का मेला हैं।सवालों का बोझा सा है जवाब के तलाश में,मुझे गंगा के उस घाट पे जाना है।
कुछ ऋण चुकाना बाकी है,फिर परमात्मा में लीन होना है।खुली हवा में सांस लेके,लाल चंदन को बदन पे सजाना है।।कुछ सवालों के जवाबो को तलाशने,मुझे गंगा के उस घाट पे जाना है।।
ईश्वर का स्पर्श है जिस घाट पे,जहां आरती में बारिश भी थम जाती हैं।।।मुझे गंगा के उस घाट पे जाना है,जहां जीवन के उस परम सत्य का मेला हैं।।।।