Hindi Stories | हिन्दी कहानी - वहाँ कौन था ?
किट्टू बेटा उठ जाओ बस आने का टाइम हो गया है। सर्दी की वो सुबह जहाँ लोग आराम से सोते हैं , और ये बेचारे बच्चों को कड़कती ठंड मे भी स्कूल जाना पड़ता है। रोहन की माँ ने उसे फिर से पुकारा किट्टू बेटा उठ जाओ देर हो रही है न चाहते हुए भी बेचारे रोहन को मज़बूरी मे उठना पड़ा। उठ के देखा सच में देर हो गई है, जल्दी से नहा के तैयार होके नीचे अपने माँ के पास आया। माँ ने प्यार से बोला आ गया बेटा जल्दी नाश्ता करो बस आने वाली है। 8 बजे स्कूल बस आ जाती है, अभी बस 15 मिनट ही बचे थे 8 बजने मे। 10 साल का बच्चा जो अभी ठीक से बड़ा भी नही हुआ था वो अभी से जिंदगी के भाग दौड़ मे शामिल हो गया है। रोज की तरह आज भी माँ को बाय बोलके गेट से निकलने लगा। बस घर से थोड़ी दूरी पर आती है, कभी बस रोहन का इंतज़ार करता तो कभी रोहन बस का इंतज़ार करता।
घर से रास्ते तक आने मे 5 मिनट का समय लगता है, रोहन चल ही रहा था की किसी के रोने की आवाज़ आई! रोहन ने पहले तो अनसुना कर दिया की होगा कुछ, पर उसे फिर से किसी के रोने की आवाज़ सुनाई दिया। सुनसान रास्ता आगे पीछे कोई नहीं रोहन सहम गया की कौन रो रहा होगा इतनी सुबह-सुबह, वो जल्दी से जाके रास्ते पे खड़ा हो गया , इतने मे बस आ गई। रोहन बस में चड़ा और अपनी सीट पर जाके बैठ गया। जहाँ उसका दोस्त पहले से ही उसका इंतज़ार कर रहा था। रोहन को डरा हुआ देख उदय ने पूछा:- क्या हुआ तुझे? फिर रोहन ने सारा किस्सा सुनाया अब दोनों के मन मे एक ही सवाल था की इतनी सुबह-सुबह कौन वहाँ रो रहा था। और किसी को सुनाई दिया या सिर्फ रोहन को ही सुनाई दिया। दोनों स्कूल पहुँचे। बस से उतरे अंदर क्लास मे जाने लगे और सोच रहे हैं की क्या करे? किससे पूछे? इतने मे चपरासी चाचा सामने से गुजरे फिर अचानक याद आया दोनों को की इनसे पूछते हैं। दोनों गए चाचा के पास, चाचा ने पूछा क्या हुआ बेटा इतना परेशान क्यों हों? कुछ खो गया है क्या?
उदय ने जवाब दिया नहीं कुछ खो नही गया है बस कुछ पूछना था आपसे। चाचा थोड़े गंभीर हो गए: हा बेटा पूछो न क्या बात है, रोहन ने सारा किस्सा चाचा को सुनाया। ये सब सुन कर चाचा को दोनों के बचपने पे हँसी आई पर चाचा ने हँसी संभालते हुए बोला-- तुम दोनों एक काम करो सुबह-शाम थोड़ा खाना रख दिया करो वहाँ पे जहाँ से रोने की आवाज़ आई थी। बस इतना बोलके चाचा वहाँ से चले गए। पर दोनों के मन मे अभी भी वही सवाल चल रहा है की रोया किसने था? कौन हो सकता हैं? पुरा दिन इसी सवाल के साथ निकल गया। स्कूल छुट्टी हो गई सब वापस घर जाने लगे, और आज दोनों ने अपने टिफिन के खाने मे से थोड़ा खाना बचा के रखा था की घर जाते समय वहाँ देना है। पूरे रास्ते भर दोनों मे यही बात हुई की वहाँ कौन हो सकता हैं?
रोहन बस से उतरा दोपहर के 3 बज रहे थे लोग आ जा रहे थे, अब समस्या ये थी की खाना रखे कैसे वहाँ पे। फिर एक कागज के टुकड़े पर रोहन ने खाना रख दिया जहाँ से सुबह रोने की आवाज़ आई थी। खाना रख के वो घर चला गया। अब रात भी यही सोचते-सोचते निकल गया की किसी ने वो खाना खाया होगा या नही, क्या वो खाना वो किसी ने खा लिया है या ऐसे ही रख होगा सुबह तक? छोटी सी रात और इतने सारे सवाल। सुबह रोज की तरह माँ ने बुलाया किट्टू बेटा उठा जा, पर आज रोहन को माँ के बुलाने की जरूरत नहीं पड़ी, आज रोहन को उठने मे जरा भी देर न लगा। तैयार होके नीचे आया और आज नाश्ता आधा खाया और आधा अपनी माँ के नजरो से छुपा के रख लिया। आज रोहन को रोज के समय से थोड़ा पहले जाना था। कल का रखा हुआ खाना अभी भी है या नही वही देखने की उत्सुकता थी रोहन मे। तेज कदमों के साथ रोहन आगे बढ़ रहा था, और जो उसने देखा:- न तो वो खाना वहाँ था और न वो कागज का टुकडा। रोहन थोड़ा डर गया की आखिर हुआ क्या था यहाँ रात को। फिर थोड़ा हिम्मत कर के जो नाश्ता बचा के लाया था वो रख दिया, फिर इतने मे बस आ गई; उदय सोच मे बैठा था की क्या हुआ होगा। रोहन ने सारी कहानी सुनाई उदय को अब दोनों को स्कूल जाने से ज्यादा घर वापस आने की जल्दी हो रही थी। जैसे तैसे कर के दिन गुजरा स्कूल छुट्टी हुई, आज फिर दोनों ने टिफिन बचाया था। रोहन को वहाँ जाने की जल्दी थी जल्द से जल्द वहाँ पहुँचना था उसे। आखिर रोहन पहुँच गया वहाँ पे पहुँच के जो देखा रोहन ने फिर से न खाना था वहाँ और न कागज का टुकडा। अब सवाल इतने सारे है मन मे की कोई सीमा नही उसकी, और फिर उसने टिफिन का खाना निकल के रखा और उदास मन के साथ घर की और जाने लगा। दो कदम चला ही था की उसे लगा कोई उसके पीछे है, मुड़ के देखा तो कोई नहीं था। फिर वो आगे जाने लगा तो रोहन को लगा किसी ने पुकारा पीछे से, अब वो हिम्मत करके पीछे मुडा तो रोहन ने जो देखा, छोटे-छोटे से हाथ- पैर, छोटी-छोटी सी मासूम सी आँखे, मासूम सा चेहरा, पुरा सफेद रंग पर कान और पीठ के ऊपर छोटा सा काला धब्बा। रोहन को ऐसे देख रहे थे जैसे मानो उसी का इंतज़ार था उस छोटे से पप्पी को देखकर। रोहन के सारे सवाल कही छु होके उड़ गए थे, और वो उस नये दोस्त को गोद मे उठा के घर की और चल दिया। .............